नेता बनने से पहले अखाड़े के पहलवान थे मुलायमlजानिए मुलायम सिंह यादव के जीवन के बारे में??

राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह एग्जाम छोड़कर कुश्ती खेलने चले जाया करते थे एक बार तो उन्होंने कवि सम्मेलन के एक मंच पर कवि से अकड़ दिखाने पर दरोगा को ही उठाकर पटक दिया था।
इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों जीवन सरल तो बिल्कुल नहीं था फिर भी मुलायम हार मानने वाले कहां थे दो-दो हाथ कुश्ती की तरह राजनीतिक जीवन से और व्यक्तिगत जीवन से भी करते रहते थे l
1989 मे मुलायम सिंह यादव लोकदल से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने 90 के दौर शुरू होते ही देशभर में मंडल-कमंडल में लड़ाई शुरू हो गई थी। 1990 में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए कारसेवा की।
30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई ,कारसेवक पुलिस बेरीगेटिंग को तोड़कर मस्जिद की ओर बढ़ने लगे उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने सख्त फैसला लेते हुए पुलिस को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था।
पुलिस की गोलियों से 6 कारसेवकों की मौत हो गई थी, उस वक्त विरोधियों ने उन्हें “मुला-मुलायम” बना दिया था। फिर बाद में मुलायम ने कहा कि वाकई यह फैसला कठिन था और कहीं ना कहीं या फैसला मुलायम सिंह यादव के लिए राजनीतिक फायदा ही साबित हुआ।

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